कनसुजा Mumps : बच्चों के लिए एक संपूर्ण गाइड

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कनसुजा Mumps : बच्चों के लिए एक संपूर्ण गाइड

मम्प्स, जिसे कनसुजा के नाम से भी जाना जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह कान के पास स्थित लार ग्रंथियों (पैरोटिड ग्रंथियों) में सूजन और दर्द का कारण बनता है। वैक्सीन के कारण इसके मामले कम हो गए हैं, लेकिन माता-पिता के लिए इसकी जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। इस ब्लॉग में मम्प्स के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में बताया गया है।

कनसुजा Mumps

मम्प्स एक संक्रामक बीमारी है जो मम्प्स वायरस के कारण होती है। यह बच्चों में 5 से 15 साल की उम्र के बीच सबसे ज़्यादा होती है, खासकर उन बच्चों में जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी होती।

मम्प्स के कारण

मम्प्स फैलने के मुख्य कारण हैं:-

सांस के जरिए: खांसने, छींकने या बात करने से।
सीधा संपर्क: बर्तन, तौलिया, या पानी की बोतल साझा करने से।
संक्रमित सतह को छूना: और फिर चेहरा, नाक, या मुंह छूना।

वायरस शरीर में 14 से 25 दिनों तक छिपा रहता है, जिससे इसे जल्दी पहचानना मुश्किल हो जाता है।

मम्प्स के लक्षण

मम्प्स के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:-

कान के पास सूजन: लार ग्रंथियों में सूजन।
बुखार: हल्का या तेज़।
खाने या निगलने में दर्द।
सिरदर्द और बदन दर्द।
थकावट और भूख कम लगना।

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मम्प्स से बचाव कैसे करें?

  • वैक्सीन लगवाएं:

    • एमएमआर वैक्सीन (मीजल्स, मम्प्स, रुबेला) सबसे प्रभावी तरीका है।
    • इसे दो बार दिया जाता है: पहली बार 12-15 महीने की उम्र में और दूसरी बार 4-6 साल की उम्र में। VACCINATION
  • स्वच्छता का पालन करें:

    • बच्चों को बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
    • खाने-पीने की चीज़ें साझा न करें।
  • संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं:

    • मम्प्स होने पर बच्चों को 5 दिनों के लिए घर पर रखें।

मम्प्स का इलाज और देखभाल -

मम्प्स का कोई विशेष इलाज नहीं है क्योंकि यह एक वायरल संक्रमण है। लेकिन लक्षणों को कम करने और आराम देने के उपाय किए जा सकते हैं:

घरेलू उपाय:

  • गर्म या ठंडी पट्टियां लगाएं: सूजन कम करने के लिए।
  • आराम करने दें: बच्चे को आराम करना चाहिए।
  • नरम खाना दें: जैसे सूप, दलिया या खिचड़ी।
  • पानी पिलाएं: शरीर में पानी की कमी न होने दें।

दवाइयाँ:

  • बुखार और दर्द के लिए डॉक्टर से सलाह लेकर पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन दें।

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

  • लगातार तेज बुखार।
  • पेट में तेज दर्द।
  • अंडकोष या अंडाशय में सूजन।
  • गर्दन में अकड़न या रोशनी के प्रति संवेदनशीलता।
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